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शीतकाल के लिए विधि विधान के साथ बंद कर दिए जाएंगे, केदारनाथ-यमुनोत्री धाम के कपाट,

खबर आपतक उत्तराखंड

  • कल यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. कपाट बंद करने को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है.,
  • भैया दूज के पावन पर्व पर दोपहर 12ः09 मिनट पर विधि विधान के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. इससे पहले सुबह 8ः30 बजे खरसाली गांव से यमुना के भाई शनिदेव सोमेश्वर देवता की डोली बहन को लेने यमुनोत्री धाम के लिए रवाना होगी. जहां शीतकाल में मां यमुना के दर्शन कर सकते हैं.
  • आज सुबह 11 बजे केदारनाथ में कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. बाबा केदार की भोग मूर्तियों को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान किया गया. इसके उपरांत विधि विधान से बाबा केदार की डोली को मंदिर के सभामंडप में विराजमान किया गया है.
  • गंगोत्री धाम के कपाट बंदः गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट पर्व पर दोपहर 12.01 बजे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए  गए हैं

मां गंगा की डोली गंगोत्री से अपने शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा के लिए रवाना हो गई है. आज गंगा जी की उत्सव डोली चंडी देवी मंदिर में रात्रि प्रवास करेगी. जबकि, गुरुवार यानी 27 अक्टूबर को मां गंगा की मूर्ति मुखबा स्थित मंदिर में विराजमान होगी

सुबह 8ः30 बजे बंद होंगे बाबा केदार के कपाटः केदारनाथ धाम के कपाट भैया दूज के अवसर पर शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे. गुरुवार सुबह विधि-विधान के साथ कपाट बंद होने के बाद साढ़े आठ बजे सेना की भक्तिमय बैंड धुनों के साथ बाबा की पंचमुखी विग्रह उत्सव मूर्ति विभिन्न पड़ावों से होते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए रामपुर पहुंचेगी. इसके बाद डोली ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी, जहां शीतकाल के छह माह भोले बाबा के दर्शन होंगे.

बदरी केदार मंदिर समिति  केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने की तैयारियों में जुट गई है. कपाट बंद होने से पहले बाबा केदार के दर्शनों को लेकर श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. बुधवार को बाबा केदार की भोग मूर्तियों को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान किया गया. इसके बाद विधि विधान से बाबा की डोली को मंदिर के सभामंडप में विराजमान किया गया. जहां तीर्थ पुरोहित समाज विधि-विधान से कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है.

वहीं, मंदिर परिसर में श्रद्धालु अपने अंदाज में बाबा की विदाई की तैयारियां कर रहे हैं. श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के जयकारे लगाने के साथ ही पारंपरिक गीत एवं भजन गाते हुए झुमेलो करते हुए नजर आए. केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी टी गंगाधर लिंग ने बताया कि गुरुवार सुबह परंपरा के अनुसार सुबह चार बजे बाबा केदारनाथ को भस्म, फल, घी और अन्न से अभिषेक करने के बाद भगवान छह महीने के लिए समाधि में चले जाएंगे.

सुबह साढ़े आठ बजे मंदिर से प्रस्थान के बाद यात्रा मार्ग से होते हुए बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली अपने पहले पड़ाव रामपुर में रात्रि प्रवास करेगी. शुक्रवार 28 अक्टूबर को डोली फाटा से होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी. वहीं, शनिवार 29 अक्टूबर को गुप्तकाशी से प्रस्थान कर सुबह करीब 11 बजे ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी.

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने संबंधित अधिकारियों और पुलिस प्रशासन को बाबा केदारनाथ धाम की सभी परंपराओं एवं विधाओं को ध्यान में रखते हुए कपाट बंद करने प्रक्रिया में व्यवस्थाएं बनाने के निर्देश दिए हैं. साथ ही सुलभ इंटरनेशनल एवं नगर पंचायत केदारनाथ को स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने को कहा है.

बीकेटीसी मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय और उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने केदारनाथ में व्यवस्थाओं का जायजा लिया. केदारनाथ उत्थान चैरिटेबल ट्रस्ट के संयुक्त सचिव और बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्यधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया कि शीतकाल के लिए कपाट बंद होने की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. मंदिर समिति शीतकाल में मंदिर सुरक्षा में तैनात सुरक्षा पुलिसकर्मियों को खाद्य सामग्री एवं आवास व्यवस्था मुहैया कराएगी.

कल बंद होंगे यमुनोत्री धाम के कपाट: प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट कल भैया दूज पर्व पर शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे. शीतकाल के दौरान मां यमुना की पूजा अर्चना अब खरसाली गांव में होगी. उधर, केदारनाथ धाम के कपाट भी कल सुबह विधि विधान के बंद कर दिए जाएंगे. आज बाबा की पंचमुखी डोली को मंदिर के सभा मंडप में विराजमान किया गया है.

यमुनोत्री मंदिर समिति  के सचिव सुरेश उनियाल और पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने बताया कि भैया दूज के पावन पर्व पर दोपहर 12ः09 मिनट पर विधि विधान के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट बंद कर दिए जाएंगे. इससे पहले सुबह 8ः30 बजे खरसाली गांव से यमुना के भाई शनिदेव सोमेश्वर देवता की डोली बहन को लेने यमुनोत्री धाम के लिए रवाना होगी. जहां शीतकाल में मां यमुना के दर्शन कर सकते हैं.

 

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Author: News Aap Tak

Chief Editor News Aaptak Dehradun (Uttarakhand)

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