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विशेषाधिकार को लेकर करीबियों ने चखा नौकरी का स्वाद: बीजेपी के प्रेमचंद्र अग्रवाल के साथ साथ-साथ कांग्रेस के विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल ने स्वीकारा बेटे बाबू को विधानसभा में नौकरी दी मुझे कोई गुरेज नहीं
करीबियों ने चखा नौकरी का स्वाद: मनमर्जी यहीं तक नहीं रुकी. खजान धामी की पत्नी लक्ष्मी को भी विधानसभा में नौकरी दे दी गई. कांग्रेस सरकार के नेताओं के रिश्तेदारों और करीबियों को ही विधानसभा में नौकरी नहीं मिली, बल्कि यहां मौजूद अधिकारियों ने भी बहती गंगा में हाथ धोए. जानकारी के अनुसार तत्कालीन विधानसभा सचिव ही नहीं संयुक्त सचिव विधानसभा के रिश्तेदारों को भी बिना परीक्षा के ही नियुक्ति दे दी गई. यह हालात यह बताने के लिए काफी हैं कि किस तरह हरीश रावत सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए गोविंद सिंह कुंजवाल ने न केवल अपने परिवार के लोगों को विधानसभा में भर दिया, बल्कि अधिकारियों और बाकी नेताओं के करीबियों को भी नौकरी का स्वाद चखाया.
गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल में
उत्तराखंड विधानसभा में पूर्व अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल के साथ गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल में हुई भर्तियों को लेकर भी निशाना साधा जा रहा है। इन दोनों के कार्यकाल के दौरान विधानसभा में नियुक्ति पाए लोगों की सूची इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। पूरे मामले पर अपना पक्ष रखते हुए पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने साफ कहा कि हां मैंने बेटे-बहू को नौकरी पर लगवाया। मेरा बेटा बेरोजगार था, मेरी बहू बेरोजगार थी, दोनों पढ़े-लिखे थे। अगर डेढ़ सौ से अधिक लोगों में मैंने अपने परिवार के दो लोगों को नौकरी दे दी तो कौन सा पाप किया। मेरे कार्यकाल में कुल 158 लोगों को विधानसभा में तदर्थ नियुक्ति दी गई थी। इनमें से आठ पद पहले से खाली थे। 150 पदों की स्वीकृति मैंने तत्कालीन सरकार से ली थी। कुंजवाल ने साफ कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में बेटे और बहू को विधानसभा में उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी पर लगाया, और ये स्वीकार करने में उन्हें कोई गुरेज नहीं है।
गोविंद कुंजवाल ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी विधानसभा के 20 से 25 लोगों को नौकरी पर लगाया था। इसके अलावा तमाम लोग बीजेपी और कांग्रेस नेताओं की सिफारिश पर रखे गए थे। कुंजवाल ने कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान हुई नियुक्तियों को लेकर कुछ लोग हाईकोर्ट गए थे, लेकिन हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों को सही करार दिया। इसके बाद कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए। वहां भी तमाम नियुक्तियों को सही ठहराया गया। बता दें कि संविधान में अनुच्छेद 187 के तहत राज्य विधानसभा अध्यक्ष को यह अधिकार प्राप्त है कि वह जरूरत के अनुसार विधानसभा में तदर्थ नियुक्तियां कर सकता है। गोविंद कुंजवाल ने कहा कि सोशल मीडिया पर बातें हो रही हैं कि मैंने अपने तमाम रिश्तेदारों को नौकरी पर रखा, इस पर वह इतना ही कहना चाहते हैं कि हर कुंजवाल उनका रिश्तेदार नहीं है। उनके कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष को संविधान की ओर से प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप ही नियुक्तियां की गई हैं। अगर इसमें कोई भ्रष्टाचार की बात सिद्ध कर सकता है तो वो किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।
प्रेमचंद अग्रवाल भी पीछे नहीं:
वहीं प्रेमचंद अग्रवाल छाती ठोक कर यह बात कहते हुए दिखाई दिए थे कि उन्होंने रिश्तेदारों को नौकरी दी है और यह नियमानुसार है. हालांकि अब भाजपा यह कह रही है कि सभी मामलों की जांच की जाएगी और इसी आधार पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट मामले पर पल्ला झाड़ते दिखाई दे रहे हैं. उत्तराखंड की विधानसभा भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सत्ताधारी दलों के लिए अपने रिश्तेदारों को नौकरी देने की जगह बन गई है. चौंकाने वाली बात है कि जहां सीधे-सीधे रिश्तेदारों को नौकरी दिए जाने का मामला दिखाई दे रहा है, वहां भी सरकार जांच करवाने की बात कर रही है. ऐसे में लगता नहीं कि सरकार अब तक लगे लोगों को नौकरी से हटाने का दम दिखा पाएगी. बहरहाल, जिस तरह भाजपा कांग्रेस पर आरोप लगा रही है, कांग्रेस के नेताओं ने साफ कर दिया है कि यदि उनकी सरकार में भी कोई गलत नियुक्ति हुई है तो उस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. गलती करने वाले को जेल भेजना चाहिए और जरूरी कार्रवाई होनी चाहिए.

Author: News Aap Tak
Chief Editor News Aaptak Dehradun (Uttarakhand)