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टिहरी में शूटरों का निशाना बना आदमखोर गुलदार, उत्तरकाशी में दहशत बरकरार

न्यूज़ आपतक उत्तराखंड

शूटरों ने गुलदार को निशाना सोमवार रात बना लिया था, लेकिन गुलदार का शव मंगलवार सुबह बरामद किया गया.

हल्द्वानी में एक बाघ को ज़िंदा पकड़ने की वह मुहिम लंबी खिंच गई है, जिसे अंजाम देने के लिए गुजरात से एक्सपर्ट बुलाए गए थे. इधर, टिहरी और उत्तरकाशी में गुलदारों के आतंक को लेकर ताज़ा अपडेट के मुताबिक टिहरी के ग्रामीणों को आतंक से छुटकारा मिल गया. जानिए सभी डिटेल्स.
देहरादून. उत्तराखंड में आदमखोर जंगली जानवरों के आतंक की चौतरफा खबरें हैं. हल्द्वानी में ऑपरेशन आदमखोर दो हफ्तों से जारी है और एक्सपर्टों की टीम के हाथ मायूसी के सिवा कुछ नहीं लगा है, वहीं टिहरी में वन विभाग के शूटरों ने एक आदमखोर गुलदार का शिकार करने में कामयाबी हासिल कर ली है. दूसरी तरफ, उत्तरकाशी के ग्रामीण इलाके में एक गुलदार का आतंक पिछले 10 दिनों से बना हुआ है क्योंकि यह गुलदार खेतों के आसपास लगातार देखा जा रहा है.
पहले बात करें टिहरी ज़िले की, तो न्यूज़18 संवाददाता सौरभ सिंह की रिपोर्ट बताती है कि अखोड़ी में आदमखोर गुलदार का अंत हो गया, जिससे क्षेत्रीय लोगों ने राहत की सांस ली. 16 अप्रैल को इस आदमखोर ने 7 वर्षीय बच्चे को अपना निवाला बनाया था, जिसके बाद से क्षेत्र में दहशत का माहौल था. ग्रामीणों की मांग पर वन विभाग क्षेत्र में शूटर तैनात करने के साथ ही पिंजड़ा लगाया गया था. 18 अप्रैल को इस गुलदार को शूटरों ने निशाना बनाने में सफलता हासिल की.
आदमखोर गुलदार के शिकार के बारे में डीएफओ वीके सिंह ने बताया कि गुलदार को आदमखोर घोषित कर उसे पकड़ने या मारने की मंज़ूरी मिलने के बाद शूटर तैनात किए गए. शूटरों ने गुलदार को निशाना सोमवार रात बना लिया था, लेकिन गुलदार का शव मंगलवार सुबह बरामद किया गया. सिंह के मुताबिक ग्रामीणों की दहशत का भी खात्मा हो गया और पीड़ित परिवार को मुआवज़ा भी दे दिया गया.
उत्तरकाशी में गुलदार की दहशत जनपद में मुखेम रेंज के अंतर्गत बोंगा और भेलूडा गांवों में पिछले 10 दिनों से गुलदार का आतंक बना हुआ है. बलबीर परमार की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीणों में दहशत का माहौल है और वन विभाग भी गांव में लगातार गश्त देकर लोगों को सचेत रहने को कह रहा है. इन दिनों गांव में गेहूं की फसल की कटाई का काम चल रहा है और गुलदार कई बार खेतों में नज़र आया है. ऐसे में कटाई का काम भी प्रभावित और डर का माहौल भी है. वन विभाग से गुलदार के लिए पिंजरे लगाने की मांग ग्रामीण कर रहे हैं.
दो हफ्ते पहले 6 अप्रैल को गुजरात से 30 विशेषज्ञों की टीम हल्द्वानी पहुंची थी क्योंकि 6 जानें लेने वाले आदमखोर बाघ को मारने नहीं बल्कि ज़िंदा पकड़ने की मुहिम छेड़ी गई थी. इस टीम के निर्देश के हिसाब से मचान और रणनीति आदि बनाने की तमाम व्यवस्थाएं की गई थीं, लेकिन यह ऑपरेशन लंबा खिंच गया है. दो हफ्ते बाद भी विशेषज्ञ और वन विभाग के हाथ बाघ तो क्या उसकी कोई खबर तक नहीं लगी है.

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Author: News Aap Tak

Chief Editor News Aaptak Dehradun (Uttarakhand)

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