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कोरोना संक्रमण काल के 2 साल बीतने के बाद प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से कर रहे हैं, मनमानी वसूली

न्यूज़ आपतक उत्तराखंड

प्राइवेट स्कूल कोरोना संक्रमण काल बीत जाने के बाद अभिभावकों से कर रहे हैं, वसूली

जैसा कि हम सबको विदित है की आज लगभग 2 साल बीत जाने के बाद कोरोना संक्रमण काल से बाहर निकलने का अवसर मिला है और इन 2 सालों के बुरे वक्त ने उत्तराखंड से लेकर पूरे देश में आम जनमानस की आर्थिकी को लेकर कमर तोड़ रखी है जिनके पास रोजगार थे वह सब आज बेरोजगारी को लेकर अपना और अपने परिवार का बड़े बुरे दौर में जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन उत्तराखंड के प्राइवेट स्कूलों ने नए सत्र में बच्चों के एडमिशन को लेकर अभिभावकों से 2 साल की पूरी कसर निकालने का मन बना लिया है,

अक्सर उत्तराखंड में सभी जनपदों में प्राइवेट विद्यालयों से अभिभावकों के द्वारा शिकायतें मिल रही है, अभिभावकों का कहना है, कि हमें अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा ग्रहण करवानी के उद्देश्य से प्राइवेट विद्यालयों में जब एडमिशन करवाने के लिए आवेदन किया जा रहा है, तो विद्यालय प्रशासन के द्वारा बच्चों का एडमिशन आवेदन पत्र पर विद्यालय प्रशासन के द्वारा मनमानी फीस वसूल करने को लेकर, शुल्क जमा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है,

विद्यालयी शिक्षा निदेशालय के द्वारा प्राइवेट विद्यालयों के लिए शुल्क निर्धारण की कोई ठोस रणनीति नहीं होने की वजह से आज उत्तराखंड के प्राइवेट विद्यालय अभिभावकों से अपनी इच्छा के अनुसार शुल्क जमा करवा कर बच्चों का दाखिला करवाना सुनिश्चित करवा रहे हैं उत्तराखंड में पहाड़ों से अपने बच्चों को देहरादून या अन्य शहरों में अच्छी शिक्षा लेने के उद्देश्य से जो भी छात्र नर्सरी या उच्च शिक्षा की कक्षाओं में प्रवेश लेना चाहता है तो प्राइवेट विद्यालयों ने प्रवेश शुल्क की धनराशि, इतनी बड़ी है कि करीब और मध्यमवर्गीय परिवार की क्षमताओं से बाहर है देहरादून के विद्यालयों में दाखिला लेने के लिए आ रहे हैं तो प्रत्येक विद्यालयों के प्रबंधकों द्वारा प्रवेश शुल्क 8000 से लेकर ₹25000 तक निर्धारित कर प्रवेश शुल्क धनराशि सुनिश्चित कर रखी है कोरोना संक्रमण काल से पीड़ित अभिभावक कुछ समझ ही नहीं पा रहे हैं कि अब बच्चों को ऑफलाइन शिक्षा को लेकर क्या करें और क्या ना करें,

उत्तराखंड का अभिभावक आज सर पकड़ कर सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उत्तराखंड के प्राइवेट विद्यालयों के लिए शुल्क लेने को लेकर सरकार के द्वारा निश्चित रणनीति के तहत कक्षा वार शुल्क निर्धारण के लिए नीति क्यों नहीं बनाई गई जिसकी वजह से आज उत्तराखंड का अभिभावक त्रस्त है , और विद्यालयों की मनमानी को लेकर सरकार से अपनी गुहार लगाने के लिए मजबूर हो गया है , उत्तराखंड के गरीब अभिभावकों के द्वारा उत्तराखंड सरकार से अपील की जा रही है कि उचित मानकों के तहत शुल्क निर्धारण को लेकर सभी विद्यालयों को तत्काल आदेश जारी किए जाएं

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Author: News Aap Tak

Chief Editor News Aaptak Dehradun (Uttarakhand)

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