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जानिए क्या है पूरा मामला
देहरादून: करनपुर क्षेत्र में करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन पर कब्जे के लिए जमीन का हाउस टैक्स निजी व्यक्ति के नाम जमा करने के मामले में नगर आयुक्त अभिषेक रूहेला ने बुधवार को तीन कार्मिकों को बर्खास्त कर दिया। तीनों कर्मी आउट-सोर्स के जरिये नगर निगम के हाउस टैक्स अनुभाग में डाटा
एंट्री आपरेटर पद पर तैनात थे।
वहीं, मामले में टैक्स अनुभाग के उच्चाधिकारियों को बचाने व निम्न कर्मियों की बलि चढ़ाने का आरोप लगाकर गुस्साए नगर निगम कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी महापौर सुनील उनियाल गामा से मिले और मामले में जांच समिति की रिपोर्ट पर सवाल उठाए। महापौर ने कर्मचारियों को शांत करा उचित कार्रवाई का भरोसा दिया।
इस मामले में गत एक दिसंबर को निगम के सहायक नगर आयुक्त राजेश नैथानी ने शहर कोतवाली में तहरीर दी थी। आरोप है कि रायपुर रोड पर डालनवाला थाने से सटी नगर निगम की करीब चार बीघा जमीन है। आरोप है कि गत नौ नवंबर को उक्त जमीन पर कब्जा करने की नीयत से तारिक अथर नाम के एक व्यक्ति ने 39751 रुपये हाउस टैक्स नगर निगम में जमा करा दिया। इससे रिकार्ड में जमीन तारिक के नाम पंजीकृत हो गई। जब कुछ दिन बाद निगम अधिकारियों को जमीन पर कब्जे के प्रयास की जानकारी मिली तो उन्होंने हाउस टैक्स की फाइल की तलाश की, लेकिन निगम में फाइल ही नहीं मिली।
आरोप है कि तारिक ने नगर निगम के किसी डाटा एंट्री आपरेटर के साथ फर्जी तरीके से हाउस टैक्स जमा कराया। निगम ने तभी हाउस टैक्स की एंट्री खारिज करते हुए आरोपितों के विरुद्ध तहरीर दे दी थी। पुलिस ने गत आठ मार्च को ही मामले में मुकदमा दर्ज किया।
इससे पूर्व पार्षदों ने तीन मार्च को नगर आयुक्त कक्ष में हंगामा कर इस मामले की रिपोर्ट मांगी थी। पार्षदों के हंगामे के बाद मामले की जांच के लिए नगर आयुक्त की ओर से जांच समिति गठित कर दी गई थी। इसमें अपर नगर आयुक्त जगदीश लाल को अध्यक्ष, वरिष्ठ वित्त अधिकारी भारत चंद्रा और निगम के अधिशासी अभियंता अनूप भटनागर को सदस्य बनाया गया।
मामले में निगम के राजस्व अनुभाग से जुड़े कार्मिकों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही थी। जांच समिति ने मंगलवार को रिपोर्ट नगर आयुक्त को सौंप दी थी। जिसके आधार पर आयुक्त ने डाटा एंट्री आपरेटर उर्मिला, गुफरान और अंकिता को सेवा से बर्खास्त कर दिया। ये तीनों आउट-सोर्स के जरिये काम करते थे। नगर आयुक्त ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में इस प्रकरण में किसी और की भूमिका सामने आई तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
आरक्षित वन भूमि खरीद मामले में पूर्व डीजीपी कोर्ट में पेश
धोखाधड़ी कर आरक्षित वन भूमि खरीदने के आरोपों से घिरे उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू ने कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखा। भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया था।
दरअसल, दो साल पहले भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था। सिद्धू पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2012 में आरक्षित वन क्षेत्र की कई बीघा भूमि धोखाधड़ी कर खरीदी थी। आरक्षित वन क्षेत्र से पहले यह भूमि नत्थुलाल के नाम पर थी, जिसकी वर्ष 1984 में मौत हो चुकी थी।
आरोप है कि बीएस सिद्धू ने एक व्यक्ति को नत्थुलाल बताकर उससे विक्रय पत्र बनवाया। इसके बाद सिद्धू पर आरोप है कि उन्होंने प्रशासन को धोखे में रखते हुए जमीन का दाखिल खारिज भी करा लिया। भाजपा नेता जुगरान ने कई स्तर पर सिद्धू की शिकायत की थी। लेकिन, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने जिला न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया था। जिस पर सुनवाई चल रही है। बुधवार को कोर्ट में सिद्धू को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया गया था।

Author: News Aap Tak
Chief Editor News Aaptak Dehradun (Uttarakhand)