न्यूज़ आपतक उत्तराखंड
अपने शीर्ष नेतृत्व का आदर-सम्मान करना कुर्सी से बड़ा लगता है।
वर्तमान समय: जिसे टिकट नहीं मिल रहा वो या तो विरोध कर रहा है या तो पार्टी छोड़ रहा है, उन सभी के लिए त्रिवेन्द्र जी एक उदाहरण हैं। पार्टी के लिए समर्पण शायद यही होता है, चार वर्षों तक प्रदेश के मुख्य सेवक के रूप में दिन-रात काम किया, पार्टी ने जो भी आदेश किया उसका पूरी ईमानदारी से अनुपालन किया। ऐसा नहीं कि त्रिवेंद्रजी गलत थे बल्कि उन्हें अपने शीर्ष नेतृत्व का आदर-सम्मान करना कुर्सी से बड़ा लगता है।
बाल्यकाल से संघ से जुड़े आदरणीय त्रिवेन्द्र जी का शायद ही ऐसे कोई वाक्या होगा जब उन्होंने शीर्ष नेतृत्व का विरोध किया होगा। जो मिला उसे अपनाया और उसपर पूरी निष्ठा से कार्य किया, समर्पण हो तो आप जैसा..आज के दौर में आप सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं

Author: News Aap Tak
Chief Editor News Aaptak Dehradun (Uttarakhand)