News Aap Tak

Bengali English Gujarati Hindi Kannada Punjabi Tamil Telugu
News Aap Tak
[the_ad id='5574']

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में हाशिये पर रही राज्य आंदोलनकारी महिलाएं, पढ़ें क्या स्थिति रही पूर्व चुनाओ में महिलाओं की,

न्यूज़ आपतक उत्तराखंड

उत्‍तराखंड राज्य आंदोलन में आगे रहीं महिलाएं, 

उत्तराखंड राज्य की मांग के लिए हुए आंदोलनों में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भागीदारी की। पुरुषों के कंधों से कंधा मिलाकर सड़क पर आकर संघर्ष किया। लेकिन मातृशक्ति की यह आवाज अलग राज्य की विधानसभा में दबकर रह गई है।
नैनीताल, स्कंद शुक्ल : उत्तराखंड राज्य की मांग के लिए हुए आंदोलनों में महिलाओं ने बढ़चढ़ कर भागीदारी की। पुरुषों के कंधों से कंधा मिलाकर सड़क पर आकर संघर्ष किया। लेकिन मातृशक्ति की यह आवाज अलग राज्य की विधानसभा में दबकर रह गई है। चुनावों में अलग राज्य को लेकर हुए संघर्षों के नाम पर सहानुभूति के वोट तो जुटाए जाते हैं लेकिन हिस्सेदारी की बात पर सियासी दल मौन साध लेते हैं। बीते चार विधानसभा चुनाव में कभी महिला विधायकों की संख्या दस प्रतिशत से ऊपर नहीं पहुंच पाई है।
70 विधानसभा सीटों वाले उत्तराखंड में चुनावी बिगुल बज चुका है। प्रत्याशियों के चयन में सियासी दल जोर शोर से जुटे हुए हैं। ऐसे में आधी आबादी का जिक्र भी प्रासंगिक हो उठा है। बात करें बीते विस चुनाव की तो महज पांच महिलाएं ही सदन में पहुंच पाईं। बाद में हुए उपचुनावों में दो और महिलाएं निर्वाचित हुईं। इस तरह पहली बार सदन में महिला विधायकों की संख्या दस प्रतिशत तक पहुंच पाई। हालांकि डा. इंदिरा हृदयेश के निधन से फिर महिला विधायकों की संख्या वर्तमान में छह ही रह गई है।
2012 में भी पांच महिलाएं ही सदन के लिए निर्वाचित हो पाई थीं, जबकि उससे पहले के दो चुनावों 2002 और 2017 में कुल चार-चार महिला विधायक ही निर्वाचित हो पाई थीं। बात करें मतदाताओं की तो इस बार सूबे में कुल मतदाता 82, 37,886 हैं, जिनमें पुरुष वोटरों की संख्या 42,24,288 और महिलाओं की 39,19,334 है। यानी पुरुषों की तुलना में सिर्फ तीन लाख वोटर कम होने के बावजूद आज तक विधानसभा में दस प्रतिशत से अधिक अधिक आधी आबादी की भागीदारी नहीं हो सकी है। बता दें कि 2017 के आम चुनावों में भाजपा ने पांच और कांग्रेस ने आठ महिलाओं को चुनावी समर में उतारा था।
तीन महिला विधायक संभाल रहीं पति की विरासत


वर्तमान सदन में कुल छह में से तीन महिला विधायक अपने पति की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। इनमें भाजपा विधायक चंद्रा पंत (पिथौरागढ़) और मुन्नी देवी (थराली) इसी सदन में उपचुनाव जीतकर पहली बार विधायक बनी हैं। भगवानपुर से कांग्रेस विधायक ममता राकेश भी अपने पति सुरेंद्र राकेश की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। हालांकि ममता लगातार दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुई हैं और सदन में अपनी सक्रियता से उन्होंने खुद को साबित भी किया है। ऐसा नहीं कि प्रदेश की सियासी पिच पर महिलाएं कमजोर साबित हुई हों। पंचायतों में महिलाओं को 50 और निकायों में 33 प्रतिशत आरक्षण हासिल है। इस कारण महिलाओं ने यहां खुद को साबित किया है।
देखिए बीते चार विधानसभा चुनावों का हाल

वर्ष लड़ीं जीतीं जमानत जब्त

2002          72 04 60

2007           56 04 42

2012            62 05 47

2017             80 05 47

इंदिरा की विरासत बचाने की चुनौती

कांग्रेस की वरिष्‍ठ नेता रहीं स्‍व. डॉ. इंदिरा हृदयेश ने 2002, 2012 और 2017 का चुनाव हल्‍द्वानी जीता। 2007 के चुनाव में उन्हें भाजपा के बंशीधर भगत से पराजित किया था। यह पहला मौका होगा जब उत्‍तराखंड में कांग्रेस उनके बिना चुनावी समर में होगी। उनके बाद अब हर जुबान पर चर्चा है हल्द्वानी सीट पर लोगों का दिल कौन जीतेगा। जबकि उनके बेटे और उत्‍तराधिकारी सुमित ह्रदयेश इस सीट से टिकट के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं और सहानुभूति के भरोसे अपनी किस्‍मत आजमाना चाहते हैं।

News Aap Tak
Author: News Aap Tak

Chief Editor News Aaptak Dehradun (Uttarakhand)

Share on whatsapp
WhatsApp
Share on facebook
Facebook
Share on twitter
Twitter
Share on telegram
Telegram