जनपद देहरादून से 126 किलोमीटर दूर नैनबाग डाक्टर और बरनी घाट होते हुए लाखामंडल तक पहुंचाए जाता है यह मंदिर जौनसार बावर में स्थित है बताया जाता है इस मंदिर को छठवीं शताब्दी में बनवाया गया था और मंदिर परिसर में जो लेख स्थापित किया गया है उसके अनुसार यह शिव मंदिर सिंहपुरा वंश की एक राजकुमारी ईश्वरा ने अपने पति चंद्रगुप्त जोकि जालंधर का राजकुमार था ईस्वरा ने अपने पति को सद्गति एवं मोक्ष दिलाने के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था, इस मंदिर के पीछे छुपी दंतकथा महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़ी है जब कौरवों ने पांडवों को जलाने के लिए लक्ष्यग्रह का निर्माण किया था तो वह इसी जगह पर करवाय गया था , पुरातत्व विभाग के द्वारा विगत वर्षों पूर्व खुदाई के मध्य यहां हर जगह चमत्कारी शिवलिंग और अनेकों मूर्तियां मिली है , कहते हैं लक्ष्यग्रह निर्माण के वक्त इसी स्थान पर बनी सुरंग के माध्यम से पांडवों ने अपनी जान बचाई थी और यह भी कहते हैं कि इस मंदिर में किसी भी इंसान का मृत्युलोक में पहुंचने के बाद भी उसे यहां के पंडित, और पंडित समाज के लोग मृत शरीर को चंद क्षणोंं के लिए जीवित कर देते हैं इसमें क्या रहस्य और क्या चमत्कार है यह आज तक कोई नहीं समझ पाया है देखिये हमारी यह रिपोर्ट न्यूज़ आप तक पर
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Author: News Aap Tak
Chief Editor News Aaptak Dehradun (Uttarakhand)